Wednesday, May 29, 2019

पश्चिम बंगाल: ममता बनर्जी के पतन का आकलन कितना सही

कोलकाता के कॉलेज स्ट्रीट के मशहूर 'कॉफ़ी हाउस' में आज कोई टेबल खाली नहीं है. ये 'कॉफ़ी हाउस' कोलकाता के उन अड्डों में से है जहां शहर भर के बुद्धिजीवी जमा होते हैं. यहाँ स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर लोग चर्चा करते सुने जा सकते हैं.

चाहे वो लातिन अमरीका की राजनीति हो या उत्तर कोरिया मसला- तमाम अंतरराष्ट्रीय विषयों पर भी यहां चर्चाएं होती हैं. और जब बात आती है बंगाल के लोक सभा के परिणामों की तो कल्पना की जा सकती है की कॉफ़ी हाउस का माहौल कैसा हो सकता है.

मेरी बग़ल की टेबल पर शहर के बुद्धिजीवियों का एक समूह ज़ोर ज़ोर से बहस कर रहा है. ये सब वरिष्ठ नागरिक हैं जिनका यही अड्डा है.

कुछ ही पल में उनकी चर्चा में मैं भी शामिल हो गया.

भाजपा और बेहतर करती अगर...
इन बुद्धिजीवियों से बातें करते हुए इतना तो समझ में आया कि भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन और भी बेहतर हो सकता था क्योंकि प्रचार के आख़िरी क्षणों में भाजपा अध्यक्ष की रैली के बाद विद्यासागर कॉलेज में हुई हिंसा ने कुछ सीटों को प्रभावित किया.

भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में जिस तरह से सीटें जीतीं, कोलकाता शहर में उसे वैसी कामयाबी नहीं मिल पायी.

एक प्रकाशन समूह के मालिक हेबेन पात्रो का कहना है कि कालेज में जिस तरह ईश्वर चन्द्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने की घटना हुई उससे भारतीय जनता पार्टी को कोलकाता की कई सीटों पर नुक़सान का सामना करना पड़ा.

घटना के बाद तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना को बंगाली स्वाभिमान से जोड़ दिया.

इसका नतीजा ये हुआ कि तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने उत्तरी कोलकाता, माला रॉय ने दक्षिणी कोलकाता, अभिनेत्री मिमी चक्रवर्ती ने जादवपुर, सौगत रॉय ने दमदम, काकोली दस्तीदार ने बारासात और ममता बनर्जी के विवादों में घिरे भतीजे अभिषेक बनर्जी ने 'डायमंड-हारबर' सीटों पर अपनी अपनी जीत दर्ज कराई.

यानी वह मानते हैं कि विद्यासागर कॉलेज की घटना अगर नहीं होती तो भारतीय जनता पार्टी को और ज़्यादा सीटें मिलतीं.

भारतीय जनता पार्टी के नेता भी इस बात को स्वीकार करते हैं. पार्टी ऑफिस में मौजूद एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर ये घटना नहीं होती तो कोलकाता में भी उन्हें कई सीटों पर कामयाबी मिलती.

हालांकि भाजपा नेता शिशिर बाजोरिया ईश्वर चन्द्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ने की घटना का इल्ज़ाम तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर ही लगाते हैं.

वो कहते हैं कि भले ही लोकसभा चुनावों में भाजपा ने कोलकाता शहर में उतना बेहतर प्रदर्शन न किया हो, मगर आने वाले विधानसभा के चुनावों से पहले तृणमूल कांग्रेस टूट जायेगी और भारतीय जनता पार्टी का वोट शेयर और बढ़ेगा.

उन्होंने जीती हुई सीटों का उदारण देते हुए कहा, ''सिर्फ एक संसदीय क्षेत्र में कई विधानसभा की सीटें होती हैं और हमने तो लगभग उतनी सीटों पर अपना दबदबा बना लिया है जितनी सीटों से हमें बहुमत मिल सकता है."

उधर तृणमूल कांग्रेस के दफ्तरों में सन्नाटा पसरा हुआ है. पार्टी के वर्रिष्ठ नेता मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं.

सब कालीघाट स्थित मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास पर मौजूद हैं और खराब प्रदर्शन को लेकर मंथन में जुटे हुए हैं. सौगत रॉय, आम तौर पर बात कर लेते हैं. मगर फ़ोन करने पर उन्होंने बताया कि वो कोई भी बयान नहीं देंगे.

राजनीतिक विश्लेषक निर्मल्या मुख़र्जी मानते हैं कि तृणमूल कांग्रेस के राजनीतिक पतन का दौर एक साल पहले हुए पंचायत चुनावों से ही शुरू हो गया था जब पार्टी के कार्यकर्ताओं पर आरोप लगा कि उन्होंने 35 प्रतिशत लोगों को वोट नहीं डालने दिया.

वो कहते हैं, "ये 35 प्रतिशत लोग तृणमूल कांग्रेस को सबक़ सिखाने का मौक़ा ढूंढ रहे थे. पंचायत चुनाव राज्य के प्रशानिक अमले की देख रेख में होते हैं जबकि लोकसभा चुनाव सीधे तौर पर भारत के चुनाव आयोग की देखरेख में. इस बार इन 35 प्रतिशत लोगों के वोट ने भाजपा को पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा खिलाड़ी बना दिया."

निर्मल्या मुख़र्जी के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बंगाल में अपनी तैयारी कई साल पहले ही शुरू कर दी थी. इसका सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी को उत्तरी बंगाल में मिला. ख़ासतौर पर उन इलाकों में जो बांग्लादेश की सीमा से लगे हुए हैं.

विश्लेषकों का मानना है कि वाम मोर्चे की कार्यशैली भी कुछ इसी तरह की थी जिससे उसका पतन हुआ. वाम मोर्चे को ख़त्म करने के लिए तृणमूल कांग्रेस भी उसी रास्ते पर चली, मगर वो अतिवादी रवैया अपनाने लगी.

इसको लेकर पार्टी के अंदर कलह भी साफ़ उजागर होने लगी. जानकार बताते हैं कि सिर्फ़ बर्धमान ज़िले में ही तृणमूल कांग्रेस के तीन दफ्तर हैं जो तीन अलग अलग खेमों के नेताओं के हैं.

तुषार कांति दास पेशे से व्यवसायी हैं. वो कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस का उदय ही हुआ था ताकि पश्चिम बंगाल के लोगों को कांग्रेस और वाम मोर्चे का विकल्प मिल सके. चूँकि तृणमूल कांग्रेस भी अतिवादी रास्ते पर चल निकली तो भारतीय जनता पार्टी ने खुद को एक विकल्प के रूप में पेश किया.

विश्लेषकों का मानना है कि जितनी तेज़ी के साथ तृणमूल कांग्रेस का उदय हुआ था उतनी ही तेज़ी के साथ उसका पतन भी हो सकता है. मगर तृणमूल कांग्रेस के नेता और विधायक दुलाल चन्द्र दास कहते हैं कि सिर्फ लोकसभा के नतीजों के बाद उनकी पार्टी के अस्तित्व को ही नकार देना ग़लत होगा.

दास कहते हैं कि इन परिणामों से पार्टी को आत्ममंथन करने का मौक़ा मिला है और वो अपनी कमियों को सुधारकर पहले से भी बड़ी राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरेगी.

उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस से राजनीतिक बदला लेने के लिए ही वाम मोर्चे के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने भाजपा के लिए काम किया. वहीं वाम मोर्चा इन आरोपों को ख़ारिज करता है.

Monday, May 13, 2019

مرشح حزب اليسار الديمقراطي في تركيا ينسحب من انتخابات رئاسة بلدية اسطنبول

أقر واحد من أبرز المستشارين الاقتصاديين للرئيس الأمريكي، دونالد ترامب، بأن الأخير أخطأ، بقرار فرض رسوم جمركية على الصادرات الصينية إلى بلاده.

واعترف لاري كودلو، الذي يرأس المجلس الاقتصادي الوطني، أن الشركات الأمريكية هي التي دفعت ضريبة الاستيراد.

وقال كودلو، لقناة فوكس نيوز الأمريكية، إنه يعتقد أن "الجانبين سيعانيان" من النزاع التجاري المتصاعد بينهما.

وكتب ترامب، في تغريدة يوم الجمعة الماضي، أن التعريفات الجمركية، على 250 مليار دولار من البضائع القادمة إلى الولايات المتحدة من الصين، "تدفعها الصين".

واعتبر ترامب أنه "ليس هناك داع للتسرع"، في عقد اتفاق تجاري مع الصين، طالما أن وزارة الخزانة الأمريكية تستفيد من هذه "المدفوعات الهائلة".

لكن كودلو أقر، في مقابلة مع فوكس نيوز الأحد، بأن الشركات الأمريكية هي التي تتحمل الرسوم الجمركية، على أي سلع يتم استيرادها من الصين، وأن المستهلكين الأمريكيين سيدفعون الفاتورة أيضا، إذا مررت الشركات تلك الزيادة في التكلفة إليهم.

وأعرب كودلو عن اعتقاده، بأن الرسوم الجمركية سيكون لها أيضا تأثير على الاقتصاد الصيني، لأن ارتفاع التكلفة سيقلل من الطلب الأمريكي على السلع الصينية.

أعلن مرشح حزب اليسار الديمقراطي انسحابه من انتخابات رئاسة بلدية اسطنبول المقررة الشهر المقبل احتجاجا على إعادة الانتخابات التي فاز بها مرشح المعارضة، أكرم إمام أوغلو، متقدما على بن علي يلدرم مرشح حزب الرئيس رجب طيب أردوغان.

وكتب على حسابه بموقع تويتر: "قررت اليوم الانسحاب من انتخابات رئاسة بلدية اسطنبول".

وكان إيدن حصل على 30 ألف صوت في الانتخابات الأصلية، يمكن أن تدعم مرشح المعارضة في منافسة مرشح حزب أردوغان.

وأحدث إمام أوغلو مفاجأة عندما فاز بفارق ضئيل على يلدرم، إذ تعد تلك المرة الأولى في 25 عاما، التي تخرج فيها مدينة اسطنبول عن سيطرة الإسلاميين.

وأعلن فوز مرشح المعارضة الشهر الماضي لتولي منصب رئيس بلدية اسطنبول بعد جولات من الجدل وإعادة فرز الأصوات.

ولكن حزب العدالة والتنمية طعن في النتيجة بدعوى وقوع مخالفات. وقررت اللجنة العليا للانتخابات الاثنين الماضي إعادة الاقتراع يوم 23 يوليو/ تموز.

ولا يعرف ما إذا كان أنصار حزب اليسار الديمقراطي، الذي لن يتقدم بمرشح آخر، سيدعمون إمام أوغلو في الانتخابات المعادة، ولكن التقارب الفكري بين الحزبين يرجح ذلك. كما أعلنت أحزاب صغيرة أخرى دعمها لمرشح المعارضة.

وقال الرئيس ترامب إن بكين "نقضت الاتفاق" التجاري بين البلدين، بالتراجع عن الالتزامات السابقة بتغيير سياساتها.

وأضاف ترامب أن عملية قد بدأت، باتجاه فرض التعريفة الجمركية الكاملة، البالغة 25 في المئة، على بضائع صينية أخرى، تبلغ قيمتها 325 مليار دولار، ما تسبب في قلق بشأن تأثير الحرب التجارية المستمرة، بين أكبر اقتصادين في العالم على النمو العالمي.

في غضون ذلك، قالت الصين إنها تأسف بشدة للخطوة الأمريكية، وإنها ستتخذ "التدابير المضادة اللازمة".

وبعد يومين من المفاوضات، في واشنطن الأسبوع الماضي، لم تبرز أية مؤشرات على أن الجانبين قريبان من حل خلافاتهما.

وترى واشنطن أن الفائض التجاري للصين مع الولايات المتحدة هو نتيجة لممارسات غير عادلة، بما في ذلك دعم بكين لشركاتها المحلية. كما تتهم الصين بسرقة الملكية الفكرية من الشركات الأمريكية.

Sunday, May 12, 2019

Führende Scientologen gehören zu den aktivsten Immobilienplayern der Stadt

Ein Firmengeflecht rund um die Swiss Immo Trust AG in Kaiseraugst war massgeblich an der Finanzierung der Scientology-Zentrale am Rande Basels beteiligt. Recherchen der TagesWoche zeigten, wie führende Personen in diesen Firmen mit ihren namhaften Spenden einen Grossteil des Sektentempels an der Burgfelderstrasse finanzierten.

Doch nicht nur innerhalb des Basler Ablegers von Scientology ist dieses Unternehmen eine relevante Grösse. Wie unsere Datenauswertung zeigt, gehört die Swiss Immo Trust zu den wichtigsten Akteuren im Geschäft der Umwandlung von Mietwohnungen in Stockwerkeigentum.

Die TagesWoche hat die im Kantonsblatt publizierten Handänderungen auf dem Basler Immobilienmarkt seit Mitte 2008 ausgewertet. Eine solche Transaktion beschreibt den Verkauf einer Immobilie. Naturgemäss geschieht dies bei der Umwandlung in Stockwerkeigentum in relativ kurzer Zeit gleich mehrfach. Ein Unternehmen kauft eine Liegenschaft auf, renoviert oder baut neu und bringt die Wohnungen daraufhin einzeln auf den Markt. Statt einem einzelnen Eigentümer gibt es nun viele verschiedene.

Umstrittenes Business
Dieses Business gilt deshalb als umstritten, weil dadurch sehr oft günstiger Wohnraum verloren geht. Bevor die Umwandlung in Wohneigentum möglich ist, müssen die bisherigen Mieter nämlich weichen.

Zwischen 2010 und 2014 war die Swiss Immo Trust an über 50 solcher Handänderungen beteiligt. Bei 43 davon ging es um Stockwerkeigentum, verteilt auf insgesamt fünf Bauprojekte. Die Liegenschaften befinden sich allesamt im Gebiet zwischen Schützenmatt- und Kannenfeldpark. Bei all diesen Projekten immer mit dabei: Rudolf Flösser, leitender Direktor von Scientology Basel.

Grösstes Projekt war die Überbauung zwischen der Türkheimerstrasse und dem Spalenring. Dort kaufte die Swiss Immo Trust zwei ältere Liegenschaften auf, um sie durch einen Neubau mit 21 Eigentumswohnungen zu ersetzen.

Das Projekt an der Türkheimerstrasse wurde von der
BW-Liegenschaftsverwaltung geleitet, die sich ebenfalls in den Händen einer Scientologin befindet.

Dies Leitung dieses Projekts oblag der BW-Liegenschaftsverwaltung GmbH, einer Firma von Brigitte Widmer – Scientologin und potente Spenderin für den Bau der Sektenzentrale. Die Wohnungen waren zuvor sehr günstig, eine 3-Zimmer-Wohnung kostete weniger als 1000 Franken.

Das Geschäft ging nicht reibungslos über die Bühne, weil sich einige der verbliebenen Mieter gegen ihre Kündigungen wehrten. Darunter zwei Gewerbler, eine Druckerei und ein Malergeschäft. Diese suchten Hilfe beim Mieterverband und erhoben Einsprache.

Eine erste Kündigung, ausgesprochen durch die Firma BW-Immobilientreuhand, ebenfalls aus dem Umkreis der Scientology, erfolgte zur Unzeit und wurde deshalb für ungültig erklärt. Das Bauprojekt in seiner ersten Version (hauptsächlich 1- und 2-Zimmer-Wohnungen) hielt der gerichtlichen Prüfung ebenso wenig stand und wurde für untauglich befunden. Die Mieter durften ein Jahr länger bleiben.

Nachträgliche Kosten
Unangenehm aufgefallen ist die Swiss Immo Trust auch auf dem Land. 2008 berichtete etwa der «Blick» von einer Überbauung in Therwil. Dort wurde sämtlichen 28 Mietparteien wegen Sanierungsbedarf gekündigt – ihre Wohnungen wurden danach während der Euro 08 aber für mehr als 400 Franken pro Tag an Fussballfans zwischenvermietet.

In einem anderen Fall in Oberwil kam es zwischen dem Unternehmen und
26 Käuferparteien von Eigentumswohnungen zu einem Streit wegen einer Rechnung von 600’000 Franken. Die Swiss Immo Trust wollte diese Anschlussgebühr für Wasser und Kanalisation nachträglich auf die Käufer überwälzen.

Diese gingen jedoch davon aus, dass diese Gebühren bereits im Kaufpreis enthalten gewesen waren. Erst nachdem wiederum die BaZ recherchiert hatte, zeigte sich die Swiss Immo Trust einsichtig und verzichtete auf die Forderung.

肺炎疫情:新冠病毒之下,韩国人这样继续坚持上课

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